Stock Market Crash in India: भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट: इन 6 बड़े वजहों से सेंसेक्स-निफ्टी में भारी गिरावट

Stock Market Crash in India

 

भारतीय शेयर बाजार में 1 मार्च 2025 को बड़ी गिरावट देखने को मिली। BSE सेंसेक्स दोपहर के कारोबार में 1,400 अंकों की गिरावट के साथ 73,201 पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 50 में 426 अंकों की गिरावट दर्ज की गई और यह 22,119 पर आ गया। इस गिरावट के पीछे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही कारण जिम्मेदार हैं। आइए जानते हैं उन प्रमुख कारणों को जिनकी वजह से बाजार में इतनी बड़ी गिरावट आई।

 

1. अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों ने बढ़ाई चिंता

 

अमेरिका की अर्थव्यवस्था में सुस्ती के संकेत मिलने से निवेशकों की चिंता बढ़ गई। अमेरिकी GDP के ताजा आंकड़े उम्मीद से कमजोर रहे, जिससे वैश्विक बाजारों में गिरावट आई। Q4 GDP सिर्फ 2.3% दर्ज किया गया, जो अनुमान से कम था। इसके चलते विदेशी निवेशक (FIIs) भारत से अपना पैसा निकालने लगे, जिससे भारतीय बाजार में बिकवाली बढ़ गई।

2. डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति से बाजार पर असर

 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मेक्सिको, कनाडा और चीन से आने वाले सामानों पर नए टैरिफ लगाने की घोषणा की है। 4 मार्च से मेक्सिको और कनाडा से आयात पर 25% टैक्स लगेगा, जबकि चीन से आयात पर 10% अतिरिक्त शुल्क लगेगा। इसके अलावा, यूरोपीय संघ पर भी 25% टैरिफ लगाने की धमकी दी गई है।

इससे वैश्विक व्यापार युद्ध (Global Trade War) की आशंका बढ़ गई, जिससे निवेशकों में घबराहट देखी गई। खासकर भारतीय IT कंपनियों को झटका लगा, क्योंकि उनका कारोबार अमेरिकी बाजारों से जुड़ा हुआ है।


3. विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली

 

विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भारतीय बाजार में भारी बिकवाली जारी रखी है। फरवरी में FIIs ने करीब ₹46,000 करोड़ के शेयर बेचे, जबकि जनवरी से मिलाकर कुल ₹1.33 लाख करोड़ की बिकवाली हो चुकी है। इस बिकवाली के चलते बाजार में गिरावट तेज हो गई और रुपये पर भी दबाव बढ़ा, जिससे भारतीय मुद्रा और कमजोर हो सकती है।

 

4. IT सेक्टर में सबसे ज्यादा गिरावट

 

भारतीय शेयर बाजार में सबसे ज्यादा गिरावट IT सेक्टर में देखने को मिली। Nvidia जैसी अमेरिकी टेक कंपनियों के शेयर गिरने से भारतीय IT सेक्टर पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा। IT कंपनियों के शेयरों में 4% तक की गिरावट आई।

सबसे ज्यादा गिरने वाले शेयरों में Persistent Systems, Tech Mahindra और Mphasis शामिल हैं। अमेरिकी मंदी की आशंका के कारण आने वाले समय में IT सेक्टर को और नुकसान हो सकता है।

5. भारतीय GDP डेटा का इंतजार

 

निवेशक भारतीय अर्थव्यवस्था के तीसरी तिमाही (Q3) के GDP आंकड़ों का इंतजार कर रहे हैं, जिससे बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है। आज भारत की आर्थिक वृद्धि के आंकड़े जारी होने वाले हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, अक्टूबर-दिसंबर 2024 की तिमाही में भारत की GDP विकास दर लगभग 6.3% रहने की संभावना है, जो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुमान 6.8% से थोड़ा कम हो सकता है। यह आंकड़ा बाजार की चाल को आगे प्रभावित कर सकता है।

6. लगातार 5 महीनों से गिरावट

 

भारतीय शेयर बाजार पिछले 5 महीनों से लगातार गिरावट में है। निफ्टी ने फरवरी में अब तक 5% की गिरावट दर्ज की है, जो पिछले 30 वर्षों में सबसे लंबी गिरावट का सिलसिला है।

सेंसेक्स अपने सितंबर 2024 के उच्चतम स्तर से अब तक 12,819 अंक नीचे आ चुका है। इससे निवेशकों का आत्मविश्वास कमजोर हुआ है, और नए निवेशक बाजार में पैसा लगाने से बच रहे हैं। इस गिरावट का असर आने वाले IPOs और बाजार की नई लिस्टिंग पर भी पड़ सकता है।

क्या निवेशकों को घबराने की जरूरत है?

 

शेयर बाजार में गिरावट अक्सर चिंता का कारण बनती है, लेकिन यह स्थायी नहीं होती। इसलिए निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है। लंबी अवधि के निवेशकों (Long-Term Investors) के लिए यह एक अच्छा अवसर हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि घबराकर अपने शेयर बेचने के बजाय, मजबूत कंपनियों में निवेश बनाए रखना चाहिए और बाजार में स्थिरता लौटने का इंतजार करना चाहिए।

निवेश करने से पहले विशेषज्ञ की राय लें

 

आज की गिरावट के पीछे कई बड़े कारण हैं, जैसे अमेरिकी अर्थव्यवस्था की सुस्ती, ट्रंप की टैरिफ नीति, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और IT सेक्टर में गिरावट। हालांकि, बाजार में उतार-चढ़ाव स्वाभाविक है और यह दीर्घकालिक निवेशकों के लिए एक अवसर भी हो सकता है।

अगर आप निवेश कर रहे हैं, तो धैर्य बनाए रखें और बाजार के रुझान को समझने के बाद ही कोई बड़ा निर्णय लें। किसी भी निवेश से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना जरूरी है, ताकि आप सही रणनीति अपनाकर अनावश्यक जोखिम से बच सकें।

निष्कर्ष

 

भारतीय शेयर बाजार में गिरावट के पीछे कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कारण जिम्मेदार हैं। अमेरिकी अर्थव्यवस्था की सुस्ती, ट्रंप की टैरिफ नीति, विदेशी निवेशकों की बिकवाली, IT सेक्टर में गिरावट और भारतीय GDP डेटा को लेकर अनिश्चितता ने बाजार पर दबाव बनाया है।

अगर ये नकारात्मक कारक जारी रहते हैं, तो आने वाले दिनों में बाजार में और गिरावट देखने को मिल सकती है। निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए और सोच-समझकर निवेश करने की रणनीति अपनानी चाहिए।

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