अतुल सुभाष सुसाइड केस
Atul Subhash Suicide Case
बेंगलुरु में रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष की खुदकुशी ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है। उन्होंने अपनी मौत से पहले जो सुसाइड नोट और वीडियो छोड़ा है, उसमें कई हैरान कर देने वाले खुलासे हुए हैं। अतुल ने अपनी 24 पन्नों की चिट्ठी और डेढ़ घंटे लंबा वीडियो में अपनी जिंदगी के संघर्ष और हार की कहानी लिखी है।
अतुल सुभाष सुसाइड केस: बेंगलुरु के डेल्फिनियम रेसिडेंसी अपार्टमेंट की दीवारों पर चिपकीं दो पन्नों की लिस्ट और 30 पन्नों का सुसाइड नोट—ये सब कुछ अतुल सुभाष की मौत के पीछे की एक खौफनाक और हैरान कर देने वाली कहानी बयां करते हैं। इस खबर में जानिए कैसे अतुल ने अपने आखिरी 32 कामों को तीन हिस्सों में बांटकर जिंदगी को अलविदा कहने की पूरी तैयारी की।
अतुल सुभाष की मौत से पहले की चौंकाने वाली कहानी:
1. दीवार पर चिपके दो पन्ने:
-
- एक पन्ने पर लिखा था— “जस्टिस इज ड्यू” (Justice is due)।
- दूसरे पन्ने पर 32 टास्क की लिस्ट थी, जिसे उसने “फाइनल टास्क बिफोर मुक्ति” नाम दिया।
2. 32 टास्क को 3 हिस्सों में बांटा:
1. बिफोर लास्ट डे (मौत से एक दिन पहले)
2. लास्ट डे (मौत के दिन के काम)
3. एग्जिक्यूट लास्ट मूमेंट (आखिरी पल के काम)
मुक्ति से पहले की 32 टास्क की पूरी कहानी:
पहले 8 काम (8 दिसंबर):
- आखिरी दिन की शुरुआत (इनिशिएट लास्ट डे)
- सभी जरूरी डॉक्यूमेंट्स पैक करना।
- कानूनी तैयारी पूरी करना।
- ऑफिस के सारे काम निपटाना।
- सभी कम्युनिकेशन इकट्ठा करना।
- डेटा का बैकअप लेना।
- छोटे-मोटे काम खत्म करना।
- पैसों को सुरक्षित करना।
→ इन सभी कामों के आगे ‘डन’ लिखा।
लास्ट डे की 10 टास्क (9 दिसंबर):
- सभी उधार चुकाना।
- जरूरी डॉक्यूमेंट्स स्कैन और अपलोड करना।
- सुसाइड नोट की एक कॉपी अपलोड करना।
- लैपटॉप, ऑफिस ID और गेट पास जमा करना।
- सुसाइड के लिए फंदा तैयार करना।
- फोन से फिंगरप्रिंट और फेस रिकग्निशन हटाना।
- छोटे डेटा सेट तैयार करना।
- सुसाइड नोट वीडियो अपलोड करना।
आखिरी पल के 13 टास्क:
- खुद को डिस्ट्रॉय करने का फैसला।
- सुसाइड नोट का वीडियो और मेल पब्लिश करना।
- परिवार, वकील, और ऑफिस को संदेश भेजना।
- कोर्ट और हाईकोर्ट को ईमेल करना।
- कोर्ट के ईमेल का बैकअप सेव करना।
- वीडियो लाइव अपलोड करना।
→ ये सभी काम ‘टिक’ और ‘डन’ के निशान से पूरे किए।
मुक्ति से पहले के आखिरी 6 टास्क:
- टेबल पर सुसाइड नोट रखना।
- चाभियां फ्रिज पर रखना।
- शिवा के 108 नामों का जाप करना।
- कमरे की खिड़कियां खोलना।
- आखिरी बार नहाना।
- …और फिर 33वां अनलिखा टास्क—मौत को गले लगाना।
अतुल की ख्वाहिश: न्याय की आखिरी लड़ाई
- अंतिम संस्कार के बाद अतुल की अस्थियों को कलश में रखा गया और परिवार बिहार के समस्तीपुर ले गया।
- परिवार ने वादा किया कि जब तक अतुल को इंसाफ नहीं मिलेगा, अस्थियों को संभालकर रखा जाएगा।
- लेकिन सवाल है: क्या अतुल का परिवार न्याय की इस लड़ाई को अंत तक लड़ पाएगा?
पत्नी और ससुराल वालों पर गंभीर आरोप
अतुल की पत्नी भी सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और यूपी के जौनपुर की रहने वाली हैं। हालांकि, दोनों काफी समय से अलग रह रहे थे। उनकी पत्नी निकिता जौनपुर में रहती थीं, जबकि अतुल बेंगलुरु में अपने माता-पिता के साथ थे। अतुल के पिता के मुताबिक, उनकी बहू ने उनके बेटे पर कई केस दर्ज करवाए थे। ये सभी मुकदमे जौनपुर की फैमिली कोर्ट में चल रहे थे।
- अतुल ने अपनी सुसाइड नोट में पत्नी निकिता, सास, और साले पर मानसिक प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए।
- साथ ही, उन्होंने जौनपुर फैमिली कोर्ट की जज रीता कौशिक पर भी पक्षपात और प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं।
सिस्टम और पारिवारिक कलह ने छीन ली जिंदगी
अतुल का संघर्ष केवल कानूनी लड़ाई तक सीमित नहीं था। उन्होंने सुसाइड नोट में बताया कि:
- वह भ्रष्ट सिस्टम और पारिवारिक विवादों से हार गए थे।
- पत्नी द्वारा किए गए केस और मानसिक प्रताड़ना ने उन्हें अंदर से तोड़ दिया था।
क्या अतुल को मिलेगा न्याय?
अतुल के परिवार ने उनकी अस्थियों को समेट कर रखा है। उनका कहना है कि जब तक अतुल को न्याय नहीं मिलता, वह उनकी अस्थियों का विसर्जन नहीं करेंगे।
अब सवाल उठता है कि क्या अतुल को न्याय मिलेगा?
उनकी मौत के पीछे का दर्दनाक सच क्या उजागर होगा? उनके परिवार को इंसाफ दिलाने के लिए कौन कदम उठाएगा?
यह घटना हर किसी को सोचने पर मजबूर करती है कि हमारे समाज और सिस्टम में कितना कुछ बदलने की जरूरत है।
इस कहानी ने हर किसी को एक सवाल पर छोड़ दिया है: आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी जिसने अतुल सुभाष को अपनी जिंदगी के हर पल को इस तरह लिखने पर मजबूर कर दिया?